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ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे

 दोस्तों पेश है आपकी खिदमत में हाफिज होशियापुरी साहब की एक   बेहतरीन ग़ज़ल उम्मीद है आपको पसंद आएगी 
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                हाफिज होशियारपुरी 

                                                                                    
 पैदाइश   :-  05   जनवरी 1912  होशियारपुर, भारत 

 इन्तेकाल :-  10   जनवरी 1973  कराची, पकिस्तान 









ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे, जाने मिले फिर या ना मिले हम 
कौन कहेगा फिर ये फ़साना , बैठ जाओ सुन लो पुरी दम |

वस्ल की शीरीनी में पिन्हा, हिज्र की तल्खी भी है कम कम 
तुम से मिलने की भी ख़ुशी है, तुम से जुदा होने का भी ग़म |

हुस्नो- इश्क़ जुदा होते है, जाने क्या तूफान उठेगा 
हुस्न  की आँखे भी है पुरनम, इश्क़ की आँखे भी है पुरनम |
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मेरी वफ़ा तो नादानी थी, तुमने मगर ये क्या ठानी थी 
काश ना करते मझसे मोहब्बत, काश ना होता दिल का ये आलम |

परवाने की खाक़ परेशां, शमां की लौ भी लरजाँ-लरजाँ
महफ़िल की महफ़िल है वीरां,कौन करे अब किस का मातम |

कुछ भी हो पर इन आँखों ने, अक्सर ये आलम देखा है  
इश्क़ की दुनिया नाज़े सरापा, हुस्न की दुनिया इज्ज़-ए-मुजस्सम |
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शाद-शिकन होठों कि लारजिस, इशरत बाक़ी का गहवारा 
दाएरा-ए -इमकान -ए -तमन्ना, नर्म लचकती बाँहों के ख़म |

अपने-अपने दिल के हाथों, दोनों ही बर्बाद हुए हैं 
मैं हूँ और वफ़ा का रोना, वो है और जफा का मातम |

नाकामी सी नाकामी है, महरूमी सी महरूमी है 
दिल का मानना सई-ए-मुसलसल,उनको भुलाना कोशिश-ए-पैहम 

अहद-ए-वफा है और भी मोहकम, तेरी जुदाई के मैं कुर्बान 
तेरी जुदाई के मैं कुर्बान,अहद-ए-वफा है और भी मोहकम |


                                                                                                        हाफिज होशियापुरी 
               

क़ैफ़ी आज़मी  कि इस ग़ज़ल को भी पढ़ें -
https://humariduniyakijaankari.blogspot.com/2020/06/kaifi-azmi.html

                     उम्मीद है आपको ये ग़ज़ल पसंद आया होगा आपसे गुजारिश है कि मेरे पेज को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के बीच शेयर करें  |

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18 टिप्पणियाँ

  1. अहदे वफ़ा है और भी मोहकम ..... Waah

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  2. बहुत ही खूबसूरत है लाजवाब

    जवाब देंहटाएं

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