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KAIFI AZMI

क़ैफ़ी आज़मी


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https://humariduniyakijaankari.blogspot.com/
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पराधीन भारत में पैदा होने, स्वतंत्र भारत में बूढ़े होने की सच्चाई से रूबरू होने और समाजवादी भारत में मरने का ख्वाब देखने वाले क़ैफ़ी आज़मी का जन्म उत्तरप्रदेश के जिला आजमगढ़ के गाँव मिजवान में 1918ई० में हुआ | क़ैफ़ी आज़मी का असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। आपके ‘झनकार’, ‘आवारा सज्दे’ आदि संग्रह प्रकाशित हुए | क़ैफ़ी ने कई फिल्मों में प्रसिद्ध गीत लिखे- ‘हकीक़त’, ‘हीर राँझा’, ‘गर्म हवा’, ‘अनीता’, हिंदुस्तान की कसम’, शोला और शबनम’, अनुपमा आदि | इनकी पहली फिल्म बुजदिल थी जिसमें उन्होंने गीत लिखे | हीर-रांझा क़ैफ़ी  आज़मी के अद्वितीय लेखन का प्रसिद्ध उदहारण है | हीर-रांझा और गर्म हवा की पटकथा भी उन्होंने ही लिखी थी | ‘नया अदब’ का संपादन किया और इप्टा के संस्थापकों में रहे | 10 मई सन 2002 में आपका इन्तेकाल हो गया |


लाई फिर इक लग़्ज़िश-ए-मस्ताना


लाई फिर इक लग़्ज़िश-ए-मस्ताना1 तेरे शहर में

फिर बनेंगी मस्जिदें मय-ख़ाना तेरे शहर में


आज फिर टूटेंगी तेरे घर की नाज़ुक खिड़कियाँ
आज फिर देखा गया दीवाना तेरे शहर में

जुर्म है तेरी गली से सर झुका कर लौटना
कुफ़्र2 है पथराव से घबराना तेरे शहर में

शाह-नामे3 लिक्खे हैं खंडरात की हर ईंट पर
हर जगह है दफ़्न इक अफ़्साना तेरे शहर में

कुछ कनीज़ें4 जो हरीम-ए-नाज़5 में हैं बारयाब
माँगती हैं जान ओ दिल नज़राना तेरे शहर में

नंगी सड़कों पर भटक कर देख जब मरती है रात
रेंगता है हर तरफ़ वीराना तेरे शहर में

शब्दार्थ:- 

1. मादक लडखडाहट  2. विधर्मिता  3. फिरदौस  की अमर कृति  4. दासियां  5. प्रेमिका का घर  6. जिसे प्रवेश मिल गया हो 

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