इल्म का शौक़
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ALBERUNI |
11 वीं सदी में अफगानिस्तान से एक बहुत बड़े आलिम हिंदुस्तान आए उनका नाम था अबू रेहान अलबरूनी, अलबरूनी ने यहां रह कर संस्कृत जबान सीखी हिंदुस्तानी तहजीब और रहन-सहन का बग़ौर मुताला किया । अपने मुताले और मालूमात की रोशनी में उन्होंने अरबी जुबान में एक किताब भी लिखी है । जिसका नाम किताब-उल-हिंद है। वह जिंदगी की आखरी सांस तक इल्म हासिल करने में लगे रहे|
अलबरूनी के जमाने के एक बड़े आलिम का बयान है कि अलबरूनी जब बीमार पड़े तो अयादत करने वालों से अपनी तकलीफ बयान करने के बजाए इल्मी गुफ्तगू करते थे जब उन पर बीमारी का पूरा गलबा हुआ और उनकी जिंदगी का चिराग गुल होने का खतरा पैदा हो गया तो उनके तमाम दोस्त शागिर्द और अकीदतमंद बेचैन हो गए। अयादत करने वालों का ताता बंध गया । जब मैंने सुना कि उनकी हालत नाजुक है तो मैं भी गया देखा तो होश उड़ गए इल्मी तहक़ीक़ का यह पतीला जिंदगी और मौत की कशमकश में मुब्तेला था ।
हर लम्हा सांस रुक जाने का डर था लेकिन मुझे देखकर वह अपनी बीमारी भूल गए और सख्त कमजोरी के बावजूद उन्होंने एक मुश्किल इल्मी मसला हल करने की ख्वाहिश जाहिर की मुझसे कहने लगे अच्छा हुआ आप वक्त पर आए मैं कुछ देर से एक मुश्किल मसले के बारे में गौर कर रहा हूं लेकिन अभी तक समझ में नहीं आया आप आलिम हैं मेहरबानी फरमा कर ये मसला मुझे समझा दीजिए आपका बड़ा एहसान होगा । अलबरूनी की यह बात सुनकर मैं अचंभे में पड़ गया इस आखिरी वक्त में भी उनका यह शौक, मैं हैरत से उनका मुंह तकने लगा मेरी इस खामोशी ने उन्हें परेशान कर दिया कहने लगे आप खामोश क्यों हैं ? क्या यह मसला आपके लिए भी मुश्किल है?
मैंने कहा नहीं मसले का हल मेरे लिए मुश्किल नहीं है लेकिन मैं हैरान इस पर हूं कि आपकी हालत बीमारी की यह शिद्दत और ऐसे नाजुक और मुश्किल वक्त में आप एक मसले को सुलझाना चाहते हैं इस वक्त इस से क्या हासिल आप मजीद इल्म हासिल करके क्या कीजिएगा?
मैं समझता था कि मेरी बात सुनकर अलबरूनी इस मसले के बारे में सोचना छोड़ देंगे मगर वहां तो इल्म के शौक का और ही आलम था कहने लगे आप समझते हैं कि मेरा आखरी वक्त आ गया है और इस मौके पर पर किसी मसले को समझने की क्या जरूरत है ?
लेकिन मेरे मोहतरम अगर मरने से पहले मैं आखिर इस खुशी से क्यों मैहरूम रहूं अलबरूनी का यह जवाब सुनकर मैं दंग रह गया इल्म का शौक हो तो ऐसा हो मैंने इस मसले पर गुफ्तगू शुरू की और इसकी बारीकियां समझाने लगा अलबरूनी दिलचस्पी के साथ मेरी बात सुनने लगे और इसी हाल में उनकी रूह परवाज कर गई|
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