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CORONAVIRUS FAMILY

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CORONA VIRUS
कोरोना वायरस का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान शहर में शुरू हुआ था। कोरोना वायरस, विषाणुओं के एक बहुत बड़े परिवार कता हिस्सा है लेकिन इनमें से सिर्फ 6 विषाणु ही ऐसे हैं जो इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं। नोवेल कोरोना वायरस यानी ये नया वायरस पहली बार सामने आया है जो इंसान को संक्रमित कर रहा है। 


करोना शब्द की उत्पत्ति


कोरोनावायरस का लेटिन भाषा के 'कोरोना' से लिया गया है। कोरोना का लैटिन में मतलब क्राउन या ताज होता है। इस वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए कांटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रान सूक्षमदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस पर इसका नाम रखा गया था। सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो चन्द्रमा के चारों ओर किरण निकलती प्रतीत होती है उसको भी कोरोना कहते हैं |  



अधिकारिक नामकरण कब किया गया ?


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 11 फ़रवरी 2020 को कहा कि घातक कोरोना वायरस का आधिकारिक नाम कोविड-19’ होगा । इस विषाणु की पहचान पहली बार 31 दिसंबर 2019 को चीन में हुई थी। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एधानोम गेब्रेयेसुस ने जिनेवा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अब हमारे पास बीमारी के लिए नाम है और यह कोविड-19’ है।’’उन्होंने नाम की व्याख्या करते हुए कहा कि ‘‘को’’ का मतलब ‘‘कोरोना’’, ‘‘वि’’ का मतलब ‘‘वायरस’’ और ‘‘डी’’ का मतलब ‘‘डिसीज’’ (बीमारी) है। और ये बीमारी जिस वायरस से होता है उसका नाम severe acute respiratory syndrome कोरोना वायरस-2 (SARS-CoV-2) है |


कोरोना वायरस को महामारी कब और किसने घोषित किया गया ?


'विश्व स्वास्थ्य संगठन'(World Health Organization) ने कोरोना वायरस (coronavirus)या कोविड-19 (COVID-19) को 11 मार्च 2020 को कोरोनावायरस या कोविड-19 को सर्वव्यापी महामारी (pandemic) घोषित कर दिया था |

कोरोना वायरस परिवार :-


1. एचसीओवी-229- 

मानव कोरोना वायरस 229-ई (एचसीओवी-229-ई) कोरोना वायरस की एक प्रजाति है जो मनुष्यों और चमगादड़ों को संक्रमित करती है। यह संक्रामक वायरस एक सिंगल-स्ट्रांडेड आरएनए वायरस है जो एपीएन रिसेप्टर के जरिये अपने मनुष्यों की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। एचसीओवी-229-ई छोटी-छोटी उल्टी और श्वसन के माध्यम से प्रसारित होता है। इसके लक्षणों में सर्दी-जुकाम से लेकर तेज बुखार जैसे कि निमोनिया और ब्रोन्कोलाइटिस शामिल हैं।  

2. एचसीओवी-एनएल-63 

एचसीओवी-एनएल-63 अल्फा कोरोना वायरस की है। इसकी पहचान 2004 के अंत में नीदरलैंड के ब्रोंकोलाइटिस वाले सात महीने के बच्चे में की गई थी। बाद में दुनिया में कई बीमारियों के साथ इसका जुड़ाव सामने आया है। इन बीमारियों में श्वांस नलिका के संक्रमण, क्रुप और ब्रोन्कोलाइटिस शामिल हैं। वायरस मुख्य रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और तीव्र श्वसन संबंधी बीमारी के रोगियों में पाया जाता है। एम्स्टर्डम में एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 4.7% आम श्वसन रोगों में एचसीओवी-एनएल-63 की उपस्थिति है।  

3. एचसीओवी-ओसी-43 

एचसीओवी-229-ई के साथ-साथ, एचसीओवी-ओसी-43 भी एक सामान्य सर्दी का कारक वायरस है। यह वायरस शिशुओं में निमोनिया सहित, श्वसन नलिका संक्रमण पनपाता है। बुजुर्ग और कमजोर इम्यून क्षमता वाले व्यक्तियों जैसे कि कीमोथेरेपी से गुजरने वाले और एचआईवी-एड्स से पीड़ित लोग भी इसके ज्यादा शिकार होते हैं। सर्दी के मौसम में जब हमें जुखाम होता हे तो यह इसी वायरस की बदौलत है। 


4. एचसीओवी-एचकेयू-1


एचसीओवी-एचकेयू-1 को पहली बार जनवरी, 2005 में हांगकांग के एक 71 वर्षीय व्यक्ति में पहचाना गया था, जो कि तीव्र श्वसन समस्या से जूझ रहा था। उसमें रेडियोलॉजिकल रूप से द्विपक्षीय निमोनिया की पुष्टि की गई थी। उस दौरान यह आदमी चीन के शेनझेन से लौटा था।

5. सार्स 

कोरोना वायरस के परिवार का एक पूर्वज वायरस सार्स (सीवियर एक्यूट रिस्पिरेटरी सिंड्रोम) सबसे पहले 2003 में चीन में पाया गया था। यह चमगादड़ों से इंसानों में आया था। इसकी वजह से 2003 में चीन और हांगकांग में करीब 650 लोग मारे गए थे। जांच में पता चला कि यह वायरस चमगादड़ों से इंसानों में आया था।

6. मर्स 

मध्य-पूर्व देशों में मर्स-सीओवी (मिडिल ईस्ट रिस्पिरेटरी सिंड्रोम वायरस) को 2012 में सऊदी अरब में खोजा गया था। यह वायरस कोरोना वायरस परिवार का पूर्वज है। मर्स-सीओवी की वजह से अब तक मध्य-पूर्व के देशों में 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह वायरस ऊंटों के जरिये इंसानों में आया था।

7. नोवल कोरोना वायरस

नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) का पहला मामला दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में सामने आया था। इसके लक्षणों में बुखार, सर्दी-जुखाम, खांसी, सांस लेने में तकलीफ होती है। ये लक्षण सार्स और मेर्स से काफी मिलते-जुलते हैं। कोविड-19 की अनुवांशिक संरचना 80 फीसदी तक चमगादड़ों में पाए जाने वाले सार्स वायरस जैसी मिली। 

एक-एक कर पहचाने गए कोरोना वायरस

1960 : हैम्रे और प्रॉकनाउ का रिसर्च पेपर एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी एंड मेडिसिन में 1966 में छपा था, जिसमें सबसे पहले कोरोना वायरसों में शामिल 229ई का उल्लेख था |

1967 : वायरोलॉजी पत्र में छपे एक शोध में कहा गया कि पहला मानवीय कोरोना वायरस 1965 में खोजा गया और टायरेल व बायनो के पेपर में इसे बी814 नाम दिया गया |

2003 : चीन में सार्स की शुरूआत हुई | यह वायरस किस जानवर से फैला, यह अब तक पता नहीं है लेकिन माना जाता है कि चमगादड़ से बिल्लियों के ज़रिये यह मनुष्यों तक आया |

2004 : नीदरलैंड्स में पहली बार सांस संबंधी रोग पैदा करने वाले वायरस को पहचाना गया | तब मनुष्यों में कोरोन वायरसों के संक्रमण को लेकर रिसर्च में तेज़ी आई और एनएल63 और एचकेयू1 की खोज 2004 में हांगकांग में हुई |

2012 : सउदी अरब में ऊंटों के ज़रिये मनुष्यों में मर्स महामारी के रूप में कोरोना वायरस सामने आया |

2019 : चीन के वुहान शहर में सार्स-कोव-2 यानी कोविड 19 की शुरूआत हुई | यह भी किस जानवर से फैला है, अब तक पुष्ट नहीं है लेकिन फिर थ्योरीज़ चमगादड़ को ही सोर्स मान रही हैं |

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