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duniya ke liye lutai apni duniya

दुनिया के लिए लुटाई अपनी दुनिया


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दोस्तों आज हम कुछ ऐसे वैज्ञानिकों  के बारे में जानेंगे जिन्होंने विज्ञान और मानवता की सेवा जी जान लगा  कर किये है | आज हम इन्ही कि बदौलत इनके अनोखे आविष्कारों की वजह से सुकून से जी रहे हैं | क्या हम ने कभी ये विचार किये है कि इनको अपने आविष्कार के पीछे कितना तप और क्या क्या निछावर करना पड़ता है | आज के इस लेख में हम कुछ ऐसे ही विज्ञान के सेवकों के बारे में जानेंगे जिन्होंने विज्ञान की सेवा अपनी जान देकर की है | मानवता इन वैज्ञानिकों की सदैव ऋणी रहेगी |



duniya ke liye lutai apni duniya

Carl Wilhelm Scheele

कार्ल विल्हेल्म शीले- (Carl Wilhelm Scheele)-  परीक्षण में गई जान 


कार्ल विल्हेल्म शीले(Karl Wilhelm Scheele) जन्म 9 दिसम्बर 1742 स्वीडन में हुआ था| विद्वान फार्मास्युटिकल केमिस्ट कार्ल शीले ने ऑक्सीजन (यद्दपि जोसेफ फ्रीस्टले ने सबसे पहले इसके संकेत उजागर किये थे) मॉलिबडेनम, टंग्स्टन, मैगनीज और क्लोरीन जैसे कई महत्वपूर्ण रासायनिक घटकों की खोज की | 

अपनी हर खोज को चखकर देखने की उनकी आदत थी | सौभाग्य से एक बार हाईड्रोजन साइनाईट का स्वाद लेने पर उनकी जान जैसे-तैसे बच गई | लेकिन पारा का ज़हर फैलने से 21 मई 1783 को उनकी मृत्यु हो गई | 

ख़ास बात यह है कि मृत्यु के दो दिन पूर्व ही कार्ल शीले ने एक विधवा से शादी की थी | 


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Jean Rozier

जीन फ्रेंकोइस डे रोज़ियर- (Jean-François Pilâtre de Rozier)- पहली हवाई दुर्घटना 


30 मार्च 1754 को जन्मे जीन फ्रेंकोइस डे रोज़ियर फिजिक्स और केमेस्ट्री के अध्यापक थे | जून 1783 में उन्होंने दुनिया का पहला बैलून फ्लाईट बनाया | 

पहले उन्होंने भेड़, मुर्गी और बत्तख को बैठा कर उसका परीक्षण किया | फिर गर्म हवा के गुब्बारे के साथ उन्होंने खुद 3000 फीट की ऊंचाई तक सैर की | 

इतना ही नहीं, डे रोज़ियर ने फ़्रांस से इंग्लैण्ड तक इंग्लिश चैनल पार करने की योजना बनाई | दुर्भाग्य से ये उनकी अंतिम उड़ान साबित हुई | 1500 फीट की ऊंचाई पर गुब्बारे की हवा निकल गई और बैलून जमीन पर आ गिरा | 

15 जून 1785 को 31 साल की उम्र में अपने एक साथी सहित रोज़ियर की मृत्यु हो गई | रोज़ियर की मृत्यु के 8 दिन बाद ही उनकी मंगेतर ने भी आत्महत्या कर ली | 


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David Brewster

सर डेविड ब्रूस्टर- (David Brewster)- प्रकाश की तलाश में अँधेरा मिला


कैलिडोस्कोप के आविष्कारक सर डेविड ब्रूस्टर 11 दिसम्बर 1781 को पैदा हुए | वे योग्य आविष्कारक, वैज्ञानिक और लेखक थे | उनकी रूचि का क्षेत्र प्रकाश विज्ञान था, जिसमें नजर का अहम खेल होता है|

लेकिन सन 1831 में एक रासायनिक परीक्षण ने उन्हें लगभग अँधा कर दिया | और 10 फ़रवरी 1868 को मृत्यु होने तक वे आँखों की तकलीफ से जूझते रहे | 


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Elizabeth Aschheim

एलिजाबेथ एशीम- (Elizabeth Fleischman Aschheim)- एक्स-रे ने ली जान 


एलिजाबेथ एशीम के पति डॉ० वुल्फ 1901 में फिजिक्स का नोबल पुरुस्कार जीतने वाले डब्ल्यू० सी० रान्टजन के एक्स-रे की खोज को आगे बढ़ना चाहते थे | 

इस संदर्भ में एलिजाबेथ की भी रूचि थी | दोनों ने मिलकर नई खोज शुरू की | एलिजाबेथ ने एक्स-रे मशीन ख़रीदी और सेन फ्रांसिस्को की पहली एक्स-रेज़ लैब स्थापित की | 

दोनों ने कई साल तक मशीन के साथ प्रयोग किए | दुर्भाग्य से वे इसमें सुरक्षा न बरतने की अपनी कमी के परिणामों का अंदाज़ नहीं लगा पाए | और अंततः भयंकर तरह से फैले कैंसर के कारण एलिजाबेथ एशीम को जान से हाथ धोना पड़ा |




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alexander bogdanov

एलेक्जेंडर बॉग्देनोव- (alexander bogdanov)- खतरा बना संक्रमित खून


सन 1924 में फिजीशियन एलेक्जेंडर बॉग्देनोव ने रक्त-दान और रक्त-ग्रहण पर, खासतौर से चिर-युवा रहने की विधि खोजने के उद्देश्य से प्रयोग शुरू किया | 

11 बार स्वयं पर इसका प्रयोग करने के बाद उन्होंने खुलासा किया कि उनके सर के बाल झड़ना बंद हो रहे हैं और आँखों की रौशनी बढ़ रही है | लेकिन गलत बात यह थी कि रक्ताधान विज्ञान जहाँ अभी प्रारंभिक अवस्था में था वहीँ एलेक्जेंडर बॉग्देनोव ने रक्त लेते-देते समय उसकी जांच नहीं की | 

और 1928 में बॉग्देनोव ने मलेरिया और टीबी से संक्रमित खून चढ़वा लिया | नतीजतन, खून चढ़ने के कुछ दिनों बाद ही उनकी मृत्यु हो गई | 


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robert Bunsen

रॉबर्ट बनसेन- (robert bunsen)- एक आँख खोई


बनसेन बर्नर के नाम से ख्यात रॉबर्ट बनसेन ने ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री (कार्बनिक रसायन) में अपना विज्ञान का कैरियर शुरू किया | लेकिन वे ऑर्सेनिक (संखिया) के कारण दो बार मौत के मुंह से लौटे| 

कुछ समय पूर्व ही मौत को देख चुके रॉबर्ट ने एक प्रयोग के दौरान केकोडाइल साइनाइड के विस्फोट से अपनी सीधी आँख खो दी | इस घटना के बाद उन्होंने फील्ड बदल कर अकार्बनिक रसायन चुना और स्पेक्ट्रोस्कॉपी क्षेत्र को नया रूप दिया | 


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Humphry Davy

सर हंफ्री डेवी- (Humphry Davy)- लाचारी में बीता अंतिम समय 


सर हंफ्री डेवी एक विद्वान रसायन विज्ञानी और आविष्कारक थे | बतौर वैज्ञानिक उनके कैरियर की शुरुआत गड़बड़ रही | एक रसायन विक्रेता के यहाँ प्रशिक्षु के रूप में काम करते समय उनसे कई बार विस्फोट हुए और उन्हें नौकरी से हटा दिया गया | 

आख़िरकार उन्होंने रसायन क्षेत्र को पकड़ लिया | लेकिन जिन गैसों से उनका साबका पड़ता, उन्हें सूंघने की उनकी आदत पड़ गई | बेशक, इस गलत आदत कि बदौलत उन्हें नाइट्रस आक्साइड के एनेस्थेटिक गुण का पता चला | 

लेकिन दुर्भाग्य से इसी आदत के कारण कई बार आत्मघाती स्थिति बनी | और अंततः एक बार नाइट्रोजन ट्राईक्लोराइड के विस्फोट से उनकी दोनों आँखें नष्ट हो गई और जीवन के अंतिम दो दशक वे किसी लायक नहीं रहे थे | 


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mary curie

मैरी क्यूरी- (mary curie)- खोज ने रोग दिया 


सन 1898 में क्यूरी और उनके पति पियरे ने रेडियम के प्रभावों की खोज की | फिर क्यूरी ने अपना बाक़ी जीवन रेडिएशन शोध और रेडियेशन थेरैपी के अध्ययन में बिताया | 

लेकिन रेडियेशन का खुलासा करने के लिए उनके दृढ संकल्प ने ही उन्हें ल्यूकेमिया रोग के हवाले किया और आखिरकार 1934 में उनकी मृत्यु हो गई | 

क्यूरी ऐसी पहली और अकेली महिला है, जिन्हें विज्ञान (रसायन और भौतिकी) क्षेत्र में दो नोबेल पुरुस्कार मिले |



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galileo galilei

गैलिलियो गैलिली- (galileo galilei)- ब्रह्माण्ड दिखाने में दृष्टि खोई 


गैलिलियो गैलिली द्वारा टेलिस्कोप को परिष्कृत करने से भावी पीढ़ी के लिए ब्रह्माण्ड के गहरे रहस्य खुले | लेकिन इस काम ने उनके आँखों की रौशनी भी छीनी | 

वास्तव में गैलिलियो सूर्य से काफी प्रभावित था | वह घंटो बैठा उसे ताकता रहता था, जिससे उसकी आँखों के रेटिना क्षतिग्रस्त हो गए | 

और जीवन के अंतिम चार-पांच साल तो उसे लगभग दिखना ही बंद हो गया था |


दोस्तों उम्मीद है जानकारी आपको पसंद आई होगी| जय हिन्द, जय भारत|


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