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हमारी दुनिया (humari duniya)



हमारी ये  दुनिया कितनी हसीं  है, है आसमान ऊपर नीचे जमीं  है 
यूँ तो गर्दिश में रहती है हरदम, मगर लगती है कि जैसे थमी है 



humari duniya


मुहब्बत से इसको बनाया है रब ने, नवाजिस से अपनी सजाया है रब ने 

कि रोजे अजल से चलाया है रब ने, खुदी के नूर से जगमगया है रब ने 

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