जो खिजा हुई वो बहार हूँ जो उतर गया वो खुमार हूँ
बहादुर शाह जफर का
जन्म 24 अक्टूबर 1775 को हुआ था. उनका पूरा नाम मिर्ज़ा अबू ज़फर सिराजुद्दीन मुहम्मद
बहादुर शाह जाफर था. जफर का जन्म भले एक मुगल घराने में हुआ था लेकिन उनकी माँ
हिन्दू महिला थी|
बहादुर शाह ज़फ़र
मुग़ल साम्राज्य के आख़िर शासक थे। उन्होंने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया था।बहादुर
शाह जफर सिर्फ एक देशभक्त मुगल बादशाह ही नहीं बल्कि उर्दू के मशहूर शायर भी थे।
उन्होंने बहुत सी मशहूर उर्दू कविताएं लिखीं, जिनमें से काफी अंग्रेजों के खिलाफ बगावत के समय मची उथल-पुथल
के दौरान खो गई या नष्ट हो गई।
ज़फर ने अपने जीवन के
अंतिम क्षण अकेले और अवसाद में गुजारे थे, अपनी हार और अंग्रेजो द्वारा पकडे जाने के बाद उन्होंने
कागज-कलम से रिश्ता तोड़ लिया था| बहादुर शाह की मृत्यु 7 नवम्बर 1862 को हुयी थी| उन्हें रंगून में श्वेडागोन पगोडा के पास दफनाया गया,जिस जगह पर बाद में बहादुर शाह जफर दरगाह
बनी| उनकी पत्नी जीनत की
मौत 1886 को हुई| जफर को एक सूफी संत माना जाता हैं,इसलिए आज भी सभी धर्मों लोग उनकी कब्र पर
श्रद्धा के फूल चढाने जाते हैं |
आज मैं उन्हीं के
मशहूर ग़ज़ल को आपके पेशे खिदमत कर रहा हूँ|
जो खिजा हुई, वो बहार हूँ
जो खिजा हुई, वो
बहार हूँ
जो उतर गया, वो
खुमार हूँ
जो बिगड़ गया, वो
नसीब हूँ
जो उजड़ गया, वो
सिंगार हूँ
मेरा हाल काबिले दीद
है
जिसे आस है न उम्मीद
है
मेरी घुट के हसरतें
रह गई
उन हसरतों, का मजार
हूँ
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In
roman
Jo
khija hui, wo bahar hun
Jo
utar gaya, wo khumar hun
Jo
bigad gaya, wo nasib hun
Jo
ujad gaya, wo singaar hun
Mera
haal qabile deed hai
Jise
aas hai na ummed hai
Meri
ghut ke hasraten rah gai
2 टिप्पणियाँ
is gazal ko main bahut dino se khoj raha tha thanks https://humariduniyakijaankari.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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