KALA PILIYA KYA HAI (काला पीलिया क्या है?)
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हर साल तेजी से शहरों में बीमारी (काला पीलिया) की गिरफ्त में आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। चौकाने वाली बात यह है कि इस बीमारी के कीटाणु ने स्वस्थ लोगों को भी निशाना बनाना शुरू कर लिया है। राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल टीकाकरण भी रोग को फैलने से रोक नहीं पा रहा। बावजूद इन सबके समय पर जानकारी और इलाज लोगों को बीमारी से निजात दिलाने में कामयाब है। गरीबी के कारण कुपोषण की अब भी लोगों में बड़ी समस्या है। कुपोषण के कारण लोगों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो रही है। शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण काला पीलिया का वायरस लोगों को जकड़ रहा है। अशिक्षा व अज्ञानता के कारण भी बच्चों को टीके नहीं लग पाना इसका कारण बन रहा है।
KALA PILIYA KE LAKSHAN:-
KALA PILIYA KO ENGLIS ME KYA KAHTE HAIN:-
काला पीलिया का शब्दिक अर्थ तो Black jaundice है लेकिन हेपेटाइटिस बी को ही काला पीलिया कहा जाता है। यह वायरस के कारण होने वाली एक संक्रमित बीमारी है जो मनुष्य के
लीवर को संक्रमित करती है। इसका वायरस शरीर में हल्के से पनपता है और लंबे समय तक
रहता है। इस वायरस के कारण लिवर सिरोसिस (यकृत सिकुड़ना) और लिवर कैंसर का भी खतरा
रहता है।
KALA PILIYA KYON HOTA HAI ?
हेपेटाइटिस बी संक्रामक शरीर के तरल पदार्थ, जैसे रक्त, योनि स्राव या वीर्य
के संपर्क से फैलता है जिसमें
हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) होता है। इंजेक्शन ड्रग का उपयोग, बनाना या
से हेपेटाइटिस बी होने का खतरा बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस बी दूषित पानी पीने, गंदगी, संक्रमित रक्त चढ़ाने, एक ही सिरिंज को बार-बार मरीजों में इस्तेमाल करने, संक्रमित डिप्स चढ़ाने, संक्रमित व्यक्ति के साथ रेजर साझा
करने और संक्रमित साथी के साथ यौन संबंध बनाने से भी फैलता है।
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KALA PILIYA SE BACHAO KE TARIKE:-
सुरक्षित यौन संबंध बनाएं। एक से ज्यादा पार्टनर के साथ सेक्स
करने से बचें।
किसी और के साथ सूई, रेजर, टूथब्रश वगैरह शेयर न करें, जिनमें इंफेक्शन वाला
ब्लड हो सकता है।
अगर आपको खतरा महसूस हो रहा है, तो हेपेटाइटिस बी
सीरीज का इंजेक्शन लगवाएं।
कोई भी टीका लगवाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि उसमें नई सूई
का इस्तेमाल हो।
बचाव व जांच के तरीके
दूषित पानी का इस्तेमाल नहीं करें, गंदगी से बचे, सही रक्त चढ़ाए, और सिरिंज नई इस्तेमाल करें।
इसके साथ ही इलाज के लिए मरीज में डीएनए का स्तर चेक किया जाता है और लिवर
बायोप्सी से भी इसकी जांच की जा सकती है।
KALA PILIYA KA ILAJ:-
प्रारंभिक चरण में
काला पीलिया गंभीर नहीं है। समय पर और पूरा इलाज करने से इसका वायरस सुप्त अवस्था
में चला जाता है। डीएनए लेवल बढ़ने और सिरोसिस होने पर इलाज हो सकता है। इसके लिए
इंजेक्शन थैरेपी है,
जिसमें इंटरफेरॉन का इंजेक्शन एक से डेढ़
साल रोजाना लगाना होता है। यह थोड़ा महंगा है। दूसरी विधि एंटी वायरल थैरेपी है।
इसमें टीनोफोबिल दवा रोजाना एक गोली तीन से पांच साल तक खानी होती है।
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