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WHAT IS HEPATITIS ITS TYPES- CAUSE SYMPTOMS AND SAVE

हेपेटाइटिस क्या है इसके प्रकार, कारण, लक्षण और बचाव

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WHAT IS HEPATITIS ITS TYPES- CAUSE SYMPTOMS AND SAVE
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हेपेटाइटिस hepatitis क्‍या है?

दोस्तों आज हम बात करेंगे Hepatitis के बारे में और जानेगे कि हेपेटाइटिस क्या होता है, WHO की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लगभग 25 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से संक्रमित थे| और इस रोग की वजह हर साल 13 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है|


क्या है हेपेटाइटिस के प्रकार, कारण, लक्षण, और सावधानियां ये सब कुछ हम इस article में जानेंगे । दोस्तों हेपेटाइटिस की बीमारी में लिवर में सूजन आ जाती है। यह आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस से फैलता है। हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं। 

हेपेटाइटिस के दौरान लिवर में सूजन आ जाती है। यह आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस से फैलता है । गर्भवती महिला से शिशु को भी यह बीमारी हो सकती है। हेपेटाइटिस लिवर में सूजन का एक प्रकार है। यह परिस्थिति यहीं तक सीमित रह सकती है या फिर गंभीर रूप धरण कर फिब्रोसिस अथवा लिवर कैंसर तक का रूप ले सकती है। 

हेपेटाइटिस वायरस, हेपेटाइटिस होने का सबसे बड़ा कारण होता है। लेकिन इसके साथ ही अल्‍कोहल और कुछ विषैली दवायें तथा ऑटोइम्‍यून डिजीज के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।

तीव्र संक्रमण में बहुत सीमित अथवा न के बराबर लक्षण नजर आते हैं। इसमें पीलिया, गहरे रंग का पेशाब, अत्‍यधिक थकान, नौजिया, उल्‍टी और पेट में दर्द जैसी शिकायतें हो सकती हैं। 

अगर आपको हेपेटाइटिस के कोई भी लक्षण नजर आयें या आपके घर में हेपेटाइटिस से पीडि़त कोई व्‍यक्ति है, तो आपको भी अपनी जांच करवा लेनी चाहिये। इससे आप बीमारी के फैलने से पहले ही उसे पकड़ लेंगे। इससे बीमारी का इलाज आसान हो जाता है | 

हेपेटाइटिस कितने प्रकार का होता है?


हेपेटाइटिस के पांच मुख्‍य वायरस होते हैं। ए, बी, सी, डी और ई। ये पांच वायरस बहुत खतरनाक होते हैं। ये बीमार तो करते ही हैं साथ ही इनके कारण बड़ी संख्‍या में मरीजों की मौत भी होती है। इतना ही नहीं यह वायरस फैलकर महामारी का रूप भी ले लेते हैं। हेपेटाइटिस बी और सी सैकड़ों-हजारों लोगों में गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। इतना ही नहीं दोनों मिलकर सिरोसिस और लीवर कैंसर के कारण बनते हैं।


हेपेटाइटिस कारण और लक्षण:-

हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है।हेपेटाइटिस बी, सी, और डी आमतौर पर संक्रमित व्‍यक्ति के मूत्र, रक्‍त अथवा अन्‍य द्रव्‍य पदार्थों जैसे रक्त योनि स्राव या वीर्य के संपर्क से फैलता है| संक्रमित रक्‍त अथवा रक्‍त उत्‍पाद, अथवा दूषित सुई अथवा अन्‍य संक्रमित चिकित्‍सीय उत्‍पादों के प्रयोग से होता है। 

हेपेटाइटिस बी संक्रमित मां से होने वाले बच्‍चे को फैलता है। परिजनों से बच्‍चे को भी यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा शारीरिक संसर्ग से भी हेपेटाइटिस बी का वायरस फैलता है। हेपेटाइटिस बी संक्रामक शरीर के तरल पदार्थ, इंजेक्शन ड्रग का उपयोग, संक्रमित साथी के साथ यौन संबंध बनाना या संक्रमित व्यक्ति के साथ रेजर साझा करने से हेपेटाइटिस बी होने का खतरा बढ़ जाता है


हेपेटाइटिस ए-


हेपेटाइटिस ए वायरस (एचएवी) के संक्रमण के कारण होता है। हेपेटाइटिस ए आमतौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है। और संक्रमण के गंभीर मामलों को जन्म दे सकता है|

इसके लक्षण है- 

बुखार, उलटी, थकान, भूख न लगाना, पेट की परेशानी, गहरे रंग की मूत्र और पीलिया शामिल है|

हेपेटाइटिस ए से बचाव के तरीके- 

इसका वायरस पानी और खाने के जरिए शरीर में आता है। खाना खाने से पहले हाथ अच्छी तरह धोएं। फल और सब्जी को धोकर खाएं। साफ सफाई का ख्याल रखें। इसके अलावा टीका लगवाकर लोग इस बीमारी से बच सकते हैं।

अगर हेपेटाइटिस ए के लक्षण दिखें तो क्या करें?

रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। जितनी जल्दी या शुरुआती स्टेज पर इसका इलाज हो उतना ज्यादा बेहतर है| और अपने डॉक्टर के दिये सुझाव और दिशानिर्देशों का पालन करें|


हेपेटाइटिस बी-

हेपेटाइटिस बी संक्रामक शरीर के तरल पदार्थ, जैसे रक्त, योनि स्राव या वीर्य के संपर्क से फैलता है जिसमें हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) होता है। इंजेक्शन ड्रग का उपयोग, संक्रमित साथी के साथ यौन संबंध बनाना या संक्रमित व्यक्ति के साथ रेजर साझा करने से हेपेटाइटिस बी होने का खतरा बढ़ जाता है।


इसके लक्षण है-


भूख की कमी, थकावट का एहसास होना, हल्का बुखार आते रहना, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द होनामितली और उल्ट त्वचा का पीला पड़ जाना ,पेशाब का रंग काला होने लगना|

हेपेटाइटिस बी से से बचाव के तरीके-

सुरक्षित यौन संबंध बनाएं। एक से ज्यादा पार्टनर के साथ सेक्स करने से बचें।

किसी और के साथ सूई, रेजर, टूथब्रश वगैरह शेयर न करें, जिनमें इंफेक्शन वाला ब्लड हो सकता है।
अगर आपको खतरा महसूस हो रहा है, तो हेपेटाइटिस बी सीरीज का इंजेक्शन लगवाएं। लेकिन हेपेटाइटिस सी के लिए कोई टीका नहीं है।
कोई भी टीका लगवाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि उसमें नई सूई का इस्तेमाल हो।
हेपेटाइटिस- बी और सी दूषित खाना, पानी या इंफेक्टेड मरीज के गले लगने, चूमने और साथ खाने- पीने से नहीं फैलता।
हेपेटाइटिस- डी बैक्टीरिया हेपेटाइटिस- बी के बैक्टीरिया की गैरमौजूदगी में इंफेक्शन नहीं फैला सकता। इसलिए इससे बचने के लिए हेपेटाइटिस बी के लिए सुझाए गए तरीके अपनाएं।

अगर हेपेटाइटिस बी के लक्षण दिखें तो क्या करें?

रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। जितनी जल्दी या शुरुआती स्टेज पर इसका इलाज हो उतना ज्यादा बेहतर है। डॉक्टर द्वारा वैक्सिन लगाया जाएगा। स्थिति के मुताबिक वह आपको भर्ती होने का सुझाव दे सकता है। लीवर को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने वाली चीजें जैसे शराब व सिगरेट के इस्तेमाल पर डॉक्टर रोक लगा सकता है। हालांकि इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय बचपन में ही इसका टीका लगवा लेने को माना जाता है। इससे वायरस शरीर को अपनी चपेट में नहीं ले पाता।

हेपेटाइटस सी

हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) से आता है। हेपेटाइटिस सी संक्रमित शरीर के तरल पदार्थ के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से प्रेषित होता है, आमतौर पर इंजेक्शन दवा के उपयोग और यौन संपर्क के माध्यम से। एचसीवी संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे आम रक्तजनित वायरल संक्रमणों में से एक है। वर्तमान में लगभग 2.7 से 3.9 मिलियन अमेरिकी इस संक्रमण के जीर्ण(chronic) रूप के साथ रह रहे हैं।

इसके लक्षण है-


आमतौर पर हेपेटाइटिस सी के लक्षण तब सामने आना शुरू होते हैं जब वह लिवर को ज्यादा प्रभावित करना शुरू कर देता है। इस बीमारी के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं: आसानी से खरोंच या चोट लग जान, बहुत ज्यादा थकान होना, भूख न लगना, त्वचा व आंखों का पीला होना, यूरिन डार्क होना, खुजली होना, पैरों में सूजन बने रहना, अचानक वजन कम होना शुरू होना, चक्कर आना व बोलने में परेशानी होना, मांसपेशियों में दर्द बने रहना |

हेपेटाइटिस सी से बचाव के तरीके-

ड्रग्स का इस्तेमाल न करें, किसी अन्य के द्वारा इस्तेमाल की गई नीडल का इस्तेमाल न करें, टैटू बनवाने जाएं तो किसी अच्छी शॉप को चुनें। वहां भी यह ध्यान रखें कि नीडल को स्टेराइल किया गया हो, यौन संबंधों के दौरान प्रटेक्शन का इस्तेमाल करें, अपने पार्टनर के अतिरिक्त किसी और से संबंध बनाने से बचें।

अगर हेपेटाइटिस सी के लक्षण दिखें तो क्या करें?

सबसे पहले अपने डॉक्टर से मिले और उनके दिये सुझाव और दिशानिर्देशों का पालन करें| कुछ समय पहले तक हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए मरीज को हर सप्ताह इंजेक्शन लगवाना पड़ता था और साथ में दवाइयां भी लेनी होती थीं। हालांकि, कई मरीज इसे ले नहीं पाते थे क्योंकि इसमें मौजूद तत्व उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां देते थे। अब इसकी दवाई काफी अडवांस हो गई है। अब दवाइयों की मदद से यह बीमारी दो से छह महीने में ठीक हो जाती है। हालांकि, इलाज काफी हद तक मरीज की स्थिति और हेपेटाइटिस सी ने शरीर को कितना प्रभावित किया है इस पर निर्भर करता है।



हेपेटाइटस डी

हेपेटाइटिस डी जिसे डेल्टा हेपेटाइटिस भी कहा जाता है, हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी) के कारण होने वाला एक गंभीर यकृत रोग है। HDV संक्रमित रक्त के साथ सीधे संपर्क में आने से होता है। हेपेटाइटिस डी हेपेटाइटिस का एक दुर्लभ रूप है जो केवल हेपेटाइटिस बी संक्रमण के साथ संयोजन (combination) में होता है। हेपेटाइटिस डी वायरस हेपेटाइटिस बी की उपस्थिति के बिना गुणा नहीं कर सकता है। सन् 1977 में पहचान की गई थी कि हेपेटाइटिस डी आम तौर पर संक्रमित इंट्रावीनस इंजेक्शन उपकरणों के द्वारा फैलता है।

इसके लक्षण है-


थकान, उल्टी, हल्का बुखार, दस्त, गहरे रंग का मूत्र, पेट में दर्द, भूख में कमी|

हेपेटाइटिस डी से बचाव के तरीके-

हेपेटाइटस डी से बचाव के तरीके- जो व्यक्ति हेपेटाइटिस बी से संक्रमित वही हैपेटाइटिस डी से भी संक्रमित हो सकता है। इसलिए हेपेटाइटिस डी के लिए हेपेटाइटिस बी के ही दिशा निर्देशों का प्रयोग करें।

अगर हेपेटाइटिस डी के लक्षण दिखें तो क्या करें?

फ़ौरन अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें आपका डॉक्टर एक रक्त परीक्षण करेगा जो आपके रक्त में एंटी-हेपेटाइटिस डी एंटीबॉडी का पता लगा सकता है। यदि एंटीबॉडी पाए जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आप वायरस के संपर्क में हैं। आपका डॉक्टर आपका लिवर फंक्शन टेस्ट भी कराएगा यह जिसके द्वारा रक्त में प्रोटीन, यकृत एंजाइम और बिलीरुबिन के स्तर को मापकर लिवर के स्वास्थ्य का मूल्यांकन होगा|


हेपेटाइटस ई

हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) के कारण होने वाला एक जलजनित रोग है। यह वायरस गंदा पानी पीने और दूषित खाने से फैलता है| हेपेटाइटिस ई मुख्य रूप से अस्वच्छता वाले क्षेत्रों में पाया जाता है और आम तौर पर दूषित पानी और भोजन के सेवन से होता है।

इसके लक्षण है-


पाचन तंत्र खराब होना और पेट में दर्द की शिकायत, बिना किसी काम के भी थकान का अनुभव, इस बीमारी में जोड़ों का दर्द होता है, सबसे मुख्य लक्षण भूख में कमी हो जाती है, लीवर में सूजन |

हेपेटाइटिस ई से बचाव के तरीके-

इसका वायरस पानी और खाने के जरिए शरीर में आता है। खाना खाने से पहले हाथ अच्छी तरह धोएं। फल और सब्जी को धोकर खाएं। साफ सफाई का ख्याल रखें। इसके अलावा टीका लगवाकर लोग इस बीमारी से बच सकते हैं।

अगर हेपेटाइटिस ई के लक्षण दिखें तो क्या करें?

अगर आपको ऊपर दिये गये हेपेटाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं| तो सबसे पहले खून की जांच करा लें या स्टूल टेस्ट से भी हेपेटाइटिस ई की बीमारी का पता चल जाता है|
संक्रामक हेपेटाइटिस ई वायरस से बचने के लिए आप टीका भी लगवा सकते हैं| सबसे अहम बात यह है कि स्वच्छता ही सबसे बड़ा इलाज है |


जानिए हेपेटाइटिस से जुड़े 5 मिथक क्या है ?

अगर हेपेटाइटिस ए हुआ, तो दूसरा हेपेटाइटिस नही होगा- हेपेटाइटिस ए से प्रभावित रोगी केवल हेपेटाइटिस ए के खिलाफ जीवन भर इम्यून रहता है| उसे अन्य हेपेटाइटिस का संक्रमण हो सकता है|

पीड़ित केवल उबला खाना ही खा सकता है- यह जरुरी नहीं है कि भोजन उबला हुआ हो| हल्दी को भोजन में जरुर शामिल करना चाहिये| हालाँकि ग्लूकोज के घोल, गन्ने के रस, करेले और मूली के सेवन से बचना चाहिए|

वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित सभी रोगियों को पीलिया होता है- ऐसा जरुरी नहीं है| कई बार हेपेटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति में पीलिया के बजाये बुखार, उलटी, भूख न लगाना, जी मचलना और सुस्ती जैसे लक्षण भी हो सकते हैं|

हेपेटाइटिस वंशानुगत बीमारी है- हेपेटाइटिस अनुवांशिक बीमारी नहीं है| हालाँकि, हेपेटाइटिस बी वायरस जन्म के दौरान माँ से बच्चे में स्थानांतरित हो सकता है| इसे माँ के हेपेटाइटिस बी वायरस की स्थिति की पहचान कर और बच्चे के जन्म के 12 घंटो के भीतर टीकाकरण कर रोका जा सकता है|

सभी हेपेटाइटिस वायरस एक जैसे होते हैं- हेपेटाइटिस ए,बी,सी,डी,ई अलग-अलग वायरस है इनके ट्रांसमिशन के तरीके अलग हैं|




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