रेलवे सुरक्षा बल स्थापना दिवस
Estimated reading time: 4 minutes, 46 seconds.
Pics credit by https://commons.wikimedia.org/ |
रेल का महत्व एवं विकास-
रेल (Rail) परिवहन का एक ज़रिया है जिसमें यात्रियों और माल को पटरियों पर चलने वाले वाहनों पर एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाया जाता है। प्रारम्भ में रेल का विकास अलग-अलग कम्पनियों द्वारा हुआ जैसे ग्रेट पेनिनसुला रेलवे कम्पनी व ईस्ट इण्डिया कम्पनी, इन कम्पनियों को देश के कोने-कोने से कच्चा माल को इक्ट्ठा करके देश के बाहर भेजने के लिए, बाहर से बनकर आये हुये माल को भारत के कोने-कोने में पहुचाने के लिए और सेना को देश के भीतर भिन्नभिन्न स्थानों पर पहुचाने के लिए रेल लाइनों का निर्माण करना पड़ा। आवागमन के बढ़ते चरण के साथ-साथ रेलवे में माल की सुरक्षा के लिए तथा रेल क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए एक संगठन की आवश्यकता का जन्म हुआ।
पुलिस की स्थापना-
1854 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने रेलवे में माल की सुरक्षा व रेल क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए कुछ व्यक्तियों के एक संगठन को बनाया गया जिसे ”पुलिस” कहा जाने लगा। यह कम्पनी के अधीन कार्य करती थी। सन 1861 में "पुलिस एक्ट” पास हुआ। "ईस्ट इण्डिया कम्पनी” द्वारा बनाई गई पुलिस को इसी पुलिस में शामिल कर दिया गया।
इसे भी पढ़ें- पैन कार्ड का महत्व एवं इसकी उपयोगिता
पुलिस संस्था का विभाजन-
1861 का पुलिस एक्ट भारतवर्ष के लिए पास किया गया था इसमें बंगाल सरकार भी शामिल थी। 1870 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी व बंगाल सरकार में मतभेद हो जाने के कारण इस ’पुलिस संस्था’ का विभाजन दो भागों गवर्नमेंट पुलिस तथा प्राइवेट पुलिस में हो गया। गवर्नमेंट पुलिस का कार्य जनता में शांति और व्यवस्था बनाए रखना था जबकि प्राइवेट पुलिस रेल सम्पत्ति व माल की सुरक्षा करती थी |
वाच एण्ड वार्ड का जन्म-
सन 1872 में सरकार द्वारा रेलवे के माल की सुरक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर पुलिस बल के कर्तव्यों को दो भागों में बांटा गया। अपराध पर नियन्त्रण करना तथा यार्ड, माल एवं अन्य रेलवे सम्पत्ति की देखभाल करना। इसी समय यह जरूरत महसूस की गई कि रेलवे के पास अपना देखरेख व निगरानी करने वाला ”वाच एण्ड वार्ड” सिस्टम हो। सन 1881 में सरकार ने एक दूसरी कमेटी नियुक्त की जिसने पूर्ण रूप से रेलवे सम्पत्ति की सुरक्षा का भार” वाच एण्ड वार्ड” को देने की सिफारिश की और रेलवे पुलिस जो इस काम के लिए लगाई गई थी उसको वापस कर दिया गया और 1882 में सरकार ने सभी रेल कम्पनियों को अपने माल की सुरक्षा के लिए ”वाच एण्ड वार्ड” प्रथा लागू करने के लिए सूचित किया। इस प्रकार ”वाच एण्ड वार्ड” का जन्म हुआ।
इसे भी पढ़ें- first women in india
रेलवे सिक्योरिटी फोर्स-
रेलवे में बढ़ते हुए अपराधों की रोकथाम के लिए ”वाच एण्ड वार्ड” के पुर्नगठन की आवश्यकता को देखते हुए सन 1953 में रेलवे बोर्ड द्वारा एक सुरक्षा सलाहकार समिति को नियुक्त किया गया। सलाहकार समिति की सलाह पर ”वाच एण्ड वार्ड” संस्था को “रेलवे सिक्योरिटी फोर्स” के रूप में बदल दिया गया। रेलवे सिक्योरिटी फोर्स ने 1954 से 1956 तक कार्य किया। इसी दौरान सन 1955 में रेलवे स्टोर्स (विधि विरूद्ध कब्जा) अधिनियम 1955 पास किया गया, जिसमें सिक्योरिटी फोर्स को कुछ अधिकार दिये गये, परन्तु अधिकार कम होने के कारण रेलवे में होने वाले अपराधों पर पूर्णतया अंकुश नहीं लगाया जा सका। उपरोक्त कमेटी की सलाह पर 13 जनवरी सन् 1956 को रेलवे सिक्योरिटी फोर्स का दूसरा नाम ”रेलवे सुरक्षा बल” रखा गया। 29 अगस्त 1957 में “रेल सुरक्षा बल अधिनियम” संसद द्वारा पास किया गया जो 10 सितम्बर 1959 को लागू हुआ, तब से रेल सुरक्षा बल का वैधानिक रूप से गठन हुआ। 10 सितम्बर1959 को ही “रेलवे सुरक्षा बल नियम 1959“ भी लागू हुआ।
देश की सीमा से लगे स्थानों तक रेलगाड़ियों को सुरक्षित पहुचाने व लाने के लिए क्षेत्रीय रेलों से ’रेल सुरक्षा बल’ से अधिकारियों तथा जवानों को इकट्ठा करके एक नये बल "रेलवे सुरक्षा विशेष बल” का गठन किया गया। इसका नाम सन् 1965 में रेल सुरक्षा विशेष बल रखा गया। इनका मुख्य कार्य रेल सुरक्षा बल की विशेष परिस्थितयों में सहायता करना है।
रेलवे में चोरी सम्बन्धी अपराधों को रोकने के लिए, रेलवे सम्पत्ति को हानि से बचाने के लिये तथा अपराधियों को दण्ड दिलाने के लिए रेलवे स्टोर्स (विधि विरूद्ध कब्जा) अधिनियम 1955 को समाप्त करते हुए रेलवे सम्पत्ति (अवैध कब्जा) अधिनियम1966 भारतीय संसद द्वारा 01.08.1966 को पास किया गया जो 01.04.1968 से सम्पूर्ण भारतवर्ष में लागू किया गया। इस एक्ट के लागू करने का मुख्य उद्देश्य यह भी था कि रेलवे प्रशासन में बढ़ते हुए अपराधों को रोका जाये और रेलवे प्रशासन द्वारा दिये जाने वाले दावों को कम किया जाये। इस अधिनियम से रेलवे सम्पत्ति की चोरी में काफी अंकुश लगा है।
रेल सुरक्षा बल अधिनियम 1957 को 20 सितम्बर 1985 को संशोधित किया गया, रेलवे सुरक्षा बल को, संशोधित अधिनियम के अनुसार भारत संघ का सशस्त्र बल का दर्जा प्राप्त हो गया। रेलवे सुरक्षा बल के इतिहास में महान और महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ, जिससे उनके कार्य का स्तर ऊंचा उठा और बल की श्रेणी में आ गये।भारत संघ के सशस्त्र बल का दर्जा प्राप्त होने पर रेलवे सुरक्षा बल ने "स्थापना दिवस” सर्वप्रथम दिनांक 20.09.1986 को मनाया। तभी से प्रतिवर्ष 20 सितंबर से 26 सितंबर तक स्थापना सप्ताह मनाया जाता है।
इसे भी पढ़ें- फ्री में पैन कार्ड कैसे बनायें
गठन का उद्देश्य : रेल यात्रियों और रेल संपत्ति की सुरक्षा करना
आदर्श वाक्य : "यशो लभस्य"
सक्रिय सैनिक: 65,000
मुख्यालय: नई दिल्ली
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के कार्य:-
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) का गठन 29 अगस्त 1957 में किया गया था। इसके बाद रेलवे प्रोटेक्शन एकट 1957 में कई बार संशोधन किया गया। RPF का मुख्य काम रेलवे सुरक्षा का है चाहे वह यात्री हो अथवा सामान। यह एक इकलौता सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स है जिसके पास अपराधियों को गिरफ्तार करने, जांच करने का ठीक उसी तरह से अधिकार होता है जैसे कि पुलिस को। यह रेल मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।
रेलवे परिसर और रेल से आसामाजिक तत्वों को हटाना।
रेल के जरिए यदि ह्यूमन ट्रैफिकिंग की सूचना है तो तुरंत एक्शन लेना और कार्रवाई करना।
0 टिप्पणियाँ
please do not enter any spam link in the comment box.