भारत की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं
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भारत
के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं
को 'आधुनिक भारत का मंदिर' कहा था. बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनओं का मकसद सिंचाई का प्रबंध,
जल विद्युत् का उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण,
पर्यावरण की रक्षा, अन्तः-स्थलीय नौ परिवहन का
विकास, भू-संरक्षण और मछली पालन का विकास. भारत की प्रमुख
बहु-उद्देशीय घाटी परियोजनाएं इस प्रकार हैं:-
रामगंगा (उत्तर प्रदेश): गढ़वाल जिले में गंगा नदी की सहायक नदी रामगंगा पर बांध का निर्माण । परियोजना में केंद्रीय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाढ़ के प्रकोप को कम करना और दिल्ली जलापूर्ति योजना में जल की आपूर्ति करना है।
साबरमती (गुजरात)- मसाणा जिले में धारी गांव में साबरमती नदी पर संग्रहण बांध अहमदाबाद के निकट वास्त्रा बाना बैरेज का निर्माण ।
शारदा सहायक (उत्तर प्रदेश)- इस परियोजना में घाघरा नदी पर बैराज,एक लिंक चैनल,शारदा नदी पर बैराज औ एक फीडर कैनाल का निर्माण जी गोमती और साई नदियों कृत्रिम जल प्रयाण का कार्य करे।
तावा (मध्य प्रदेश)- होशंगाबाद जिले में नर्मदा की सहायक नदी तावा पर एक परियोजना
टिहरी बांध (उत्तर प्रदेश)- टिहरी जिले में भागीरथी नदी पर बांध।
थेन बांध (पंजाब)- रावी नदी पर बांध और इसे पश्चिमी तट पर विद्युत संयंत्र।
तुंगभद्रा (कर्नाटक व आंध्र प्रदेश का संयुक्त उपक्रम) तुंगभद्रा नदी पर परियोजना।
उकाई (गुजरात): उकाई गांव के निकट ताप्ती नदी पर बहुउद्देशीय परियोजना।
अपर कृष्णा (कर्नाटक) कृष्णा नदी पर नारायणपुर बांध पर परियोजना और अलमाट्टी बांध।
अपर पेनगंगा (महाराष्ट्र): यवतमाल जिले में इसापुर के निकट वैनगंगा नदी पर दो रिजर्ववायर और परभानी जिले रायाधु नदी पर दूसरा।
बार्गी
परियोजना (मध्य प्रदेश)- यह बहुउद्देशीय परियोजना है इसमें जबलपुर जिले में बार्गी
नदी पर सोनरी बाँध और नाहर है |
ब्यास- (हरियाण, पंजाब और
राजस्थान का संयुक्त उपक्रम)- इसमें ब्यास और सतलुज को जोड़ने के साथ पोंग में
ब्यास बाँध सम्मलित है |
गंडक (बिहार व उत्तर प्रदेश का
संयुक्त उपक्रम)- इस परियोजना से नेपाल भी कृषि और विद्युत् का लाभ उठता है |
घाटप्रभा (कर्नाटक)- बेलगाँव
और बीजापुर जिले के बीच घाटप्रभा पर एक परियोजना |
भद्रा (कर्नाटक- भद्रा नदी पर
बहुउद्देशीय परियोजना |
भीम (महाराष्ट्र)- इसमें दो
बाँध है एक पुणे जिले में फागने के निकट पवाना नदी पर व दूसरा शोलापुर जिले में
उज्जैन के निकट कृष्णा नदी पर है |
चम्बल (बिहार व मध्य प्रदेश का
संयुक्त उपक्रम)- इस परियोजना में गाँधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध और
जवाहर सागर बाँध हैं |
भाखड़ा
नांगल (हरियाण, पंजाब और राजस्थान का संयुक्त उपक्रम)- भारत का सबसे बड़ा
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना | इसमें भाखड़ा में सतलुज पर बाँध एवं नांगल हायडल
चैनल के साथ दो भाखड़ा बाँध पर दो विद्युत गृह व गंगुवाल व कोटमा में दो विद्युत
गृह हैं |
फरक्का
(पश्चिम बंगाल)- इस परियोजना को कोलकाता बंदरगाह की देखभाल, संरक्षण और हुगली में
नौपरिवहन में सुधार के लिए शुरू किया गया था| इसमें गंगा नदी में फरक्का पर बैरेज,
भागीरथी पर बैरेज व जांगीपुर बैरेज के नीचे गंगा के पानी को भागीरथी में मिलाने के
लिए चैनल है |
हसदेव बांगो परियोजना-
(छत्तीसगढ़)- यह परियोजना छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हसदेव नदी पर बांगो गाँव में
स्थित है | इसकी स्थापना 1967 में की गई
थी |
दामोदर
घाटी परियोजन- (पं.बंगाल व बिहार):
पश्चिम बंगाल व बिहार में कृषि, बाढ़ को रोकने व विद्युत
उत्पादन के लिये बहुउद्देशीय परियोजना। इसमें कोनार, तिलैया,
मैथन और पंचेट में
बहुउद्देशीय बांध हैं। जल विद्युत स्टेशन कोनार, तिलैया.
मैथन और पंचेट में हैं। दुर्गापुर मं बैरेज व बोकारो, चंद्रपुरा
और दुर्गापुर में थर्मल पावर हाउसेज है। परियोजना का प्रशासन दामोदर घाटी निगम
करता है।
हीराकुड (उड़ीसा): महानदी पर
विश्व का सबसे बड़ा बांध बनाया गया है।
जयाकवाडी (महाराष्ट्र):
गोदावरी नदी पर पत्थरों से बना बांध।
ककरापार (गुजरात): सूरत जिले
में ककरापार के निकट ताप्ती नदी पर बांध।
कंगसाबाटी (प. बंगाल): इस परियोजना में कंगसाबाटी व कुमारी नदी
पर बांध बनाने हैं।
कर्जन (गुजरात): भरूच जिले के नंदू तालुक के जीतगढ़ गांव के निकट कर्जन नदी पर पत्थरों का बांध बनाना है।
कोसी (बिहार): बिहार व नेपाल के लिये बहुउद्देशीय परियोजना।
कृष्णा परियोजना (महाराष्ट्र): कृष्णा नदी पर ढोम गाँव के निकट बांध व सतना जिले के कन्हार गाँव के निकट वर्मा नदी पर बांध बनाना है।
कुकाडी परियोजना (महाराष्ट्र): पांच अलग संग्रहण बांध योदगांव, मानिकदोही, दिम्भा, वादाज और पिंपलगांव जोग। नहर प्रणाली में हैं - कुकाडी, सिम्भा, दिम्भा, मीना फीडर और मीना ब्रांच।
लेफ्ट बैंक घाघरा कैनाल (उत्तर प्रदेश): गिरिजा बैराज से घाघरा नदी के बाईं तट से लिंक चैनल जो सरयू नदी को जोड़े।
मध्य गंगा नहर (उत्तर प्रदेश): बिजनौर जिले में गंगा नदी पर बैराज।
महानदी डेल्टा योजना (उड़ीसा): हीराकुड रिजर्वायर से छोड़े गये पानी को कृषि के लिये उपयोग।
महानदी रिजर्ववायर परियोजना (छत्तीसगढ़): इसके तीन चरण हैं 1. रविशंकर सागर परियोजना और भिलाई इस्पात संयंत्र में जलापूर्ति के लिये फीडर कैनाल सिस्टम, 2.महानदी फीडर कैनाल का विस्तार, 3.पैरी बांध।
माही (गुजरात)- यह परियोजना दो चरणों की है। एक वानकबोरी गांव के निकट माही नदी पर और कनादा गाँव के निकट माही नदी पर बांध।
मालाप्रभा (कर्नाटक); बेलगाँव जिले में मालप्रभा नदी पर बांध |
मयूरक्षी (प. बंगाल)- कनाडा बांध से सिंचाई और जल विद्युत परियोजना।
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नागार्जुन सागर (आंध्र प्रदेश): हैदराबाद से लगभग 44 किलोमीटर दूर नांदीकोना गांव में कृष्णा नदी पर बांध
पनम (गुजरात): पंचमहल जिले में केलेडेजर गांव के निकट पनम नदी पर बांध।
परंबिकुलम अलियार (तमिलनाडु व केरल का संयुक्त उपक्रम):- इस परियोजना में अन्नामलाई पहाड़ियों की 6 व 2 मैदानी नदियों के पानी का कृषि के लिये उपयोग करना।
पोकमपाद (आंध्र प्रदेश), गोदावरी नदी पर बांध।
राजस्थान कैनाल (अब इंदिरा गांधी नहर):- 650 किलोमीटर लम्बी कैनाल पोंग बांध से छोड़े गये पानी को प्रयुक्त करती है और राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराती है। इसमें राजस्थान फीडर कैनाल (पहले 167 किलोमीटर पंजाब व हरियाणा शेष 37 किलोमीटर राजस्थान) मुख्य 445 किलोमीटर कैनाल राजस्थान में है।
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