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Corona vaccine types of covid vaccine in hindi

कोरोना वेक्सीन के प्रकार

Corona vaccine types of covid vaccine in hindi
प्रतीकात्मक फोटो 


कोरोना वायरस से निपटने के लिए बन रही वैक्सीन अलग-अलग प्रकार की होती है| वायरस के स्ट्रेन के बेस, उससे निपटने के तरीके के आधार पर इनमें अंतर होता है| अलग-अलग प्रकार की वैक्सीन का असर भी अलग-अलग तरीके से होता है

विशेषज्ञों के मुताबिक, मूल रूप से देखें तो कोरोना वैक्सीन चार प्रकार की हैं और वो हैं- 

1. प्रोटीन आधारित वैक्सीन 
2. वायरल वेक्टर वैक्सीन 
3. आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन  
4. निष्क्रिय या कमजोर पड़ चुके वायरस से बनी वैक्सीन।


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इन वैक्सीन्स को तैयार करने के पीछे मकसद है मानव शरीर के इम्युन सिस्टम को इस तरीके से ट्रेन्ड करना है कि वह कोरोना वायरस की पहचान कर शरीर में उसके संक्रमण को रोकने के काबिल बन सके  मूल रूप से देखा जाए तो कोरोना वैक्सीन 4 प्रकार की होती हैं:-


1. आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन-

आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन को बनाने में कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके एक छोटे से हिस्से को जब व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो यह शरीर में वायरल प्रोटीन बनाता है, न कि पूरा वायरस। इस तरह शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र वायरस पर हमला करने के लिए तैयार हो जाता है। मॉडर्ना कंपनी ने आरएनए आधारित वैक्सीन ही बनाई है, जिसे अमेरिका ने हाल ही में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है।


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2. प्रोटीन आधारित वैक्सीन- 

इस तरह की वैक्सीन को बनाने में कोरोना वायरस के प्रोटीन सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोटीन सेल्स से वायरस स्ट्रेन के जरिए इम्यूनिटी विकसित की जाती है।


3.वायरल वेक्टर वैक्सीन-

वायरल वेक्टर वैक्सीन को बनाने के लिए पहले वायरस स्ट्रेन को संक्रमणमुक्त किया जाता है और फिर उसके इस्तेमाल से कोरोना वायरस प्रोटीन विकसित किया जाता है। इसके बाद उन प्रोटीन्स के जरिए शरीर में इतनी इम्यूनिटी विकसित की जाती है कि वो वायरस के संक्रमण को रोक ले। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन और रूस की 'स्पूतनिक-वी' वायरल वेक्टर आधारित वैक्सीन ही है। 


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4. निष्क्रिय या कमजोर पड़ चुके वायरस से बनी वैक्सीन 

इस तरह की वैक्सीन को बनाने के लिए निष्क्रिय हो चुके या कमजोर पड़ चुके ऐसे वायरस के स्ट्रेन का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें संक्रमण फैलाने की क्षमता खत्म हो चुकी होती है। इससे शरीर वायरस से लड़ना सीखता है और उसके खिलाफ इम्यूनिटी विकसित करता है, जो बाद में सक्रिय वायरस से लड़ने में काम आती है। चीन की कोरोनावैक इसी पर आधारित वैक्सीन है।


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