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Engineers Day Kyu Manaya Jata Hai Why Celebrate Engineers Day in Hindi

इंजीनियर्स डे क्यों मनाया जाता हैं

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Engineers Day Kyu Manaya Jata Hai Why Celebrate Engineers Day in Hindi

Pics credit by-  https://en|wikipedia|org/



भारत में अभियंता दिवस यानी इंजीनियर्स डे प्रतिवर्ष 15 सितंबर को मनाया जाता है। 15 सितंबर भारत के जाने-माने एवं प्रतिष्ठित सिविल इंजीनियर और राजनेता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन है। उनका जन्मदिवस इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है।


संक्षिप्त जीवन परिचय -


मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुक में 15 सितंबर 1860 ई० को एक तेलुगु परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीनिवास शास्त्री तथा माता का नाम वेंकाचम्मा था। पिता संस्कृत के विद्वान थे। विश्वेश्वरैया 12 साल के थे जब उनके पिता का निधन हो गया| 

विश्वेश्वरैया ने प्रारंभिक शिक्षा जन्मस्थान से ही पूरी की। बचपन से ही पढ़ाई में बेहद होनहार विश्वेश्वरैया आगे की पढ़ाई के लिए बंगलूर के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया। लेकिन यहां उनके पास धन का अभाव था। अत: उन्हें टयूशन करना पड़ा। 

विश्वेश्वरैया ने 1881 ई० में बीए की परीक्षा में अव्वल स्थान प्राप्त किया। इसके बाद मैसूर सरकार की मदद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में दाखिला लिया। 

1883 ई० की एलसीई व एफसीई (वर्तमान समय की बीई उपाधि) की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय दिया। इसी उपलब्धि के चलते महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया।


विश्वेश्वरैया जी ने क्या-क्या बनाया ? 



दक्षिण भारत के मैसूर को एक विकसित और समृद्धशाली क्षेत्र बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है| सर एमवी के नाम से मशहूर विश्वेश्वरैया के प्रयासों से ही कृष्णाराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल एंड सोप फैक्ट्री, मैसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर का निर्माण हो पाया। 

इन्हें कर्नाटक का भगीरथ भी कहा जाता है| वो 32 साल के थे, जब उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी भेजने का प्लान तैयार किया, जो सभी इंजीनियरों को पसंद आया| 

सरकार ने सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त बनाने के लिए एक समिति बनाई जिसके तहत उन्होंने एक नया ब्लॉक सिस्टम बनाया| 

उन्होंने स्टील के दरवाज़े बनाए जो बांध से पानी के बहाव को रोकने में मदद करते थे|

उनके इस सिस्टम की तारीफ़ ब्रिटिश अफ़सरों ने भी की| विश्वेश्वरैया ने मूसा और इसा नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान बनाया| इसके बाद उन्हें मैसूर का चीफ़ इंजीनियर नियुक्त किया गया| 

वो उद्योग को देश की जान मानते थे, इसीलिए उन्होंने पहले से मौजूद उद्योगों जैसे सिल्क, चंदन, मेटल, स्टील आदि को जापान व इटली के विशेषज्ञों की मदद से और अधिक विकसित किया| 



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विश्वेश्वरैया के जीवन से जुड़े रोचक किस्से-


जंजीर किसने और क्यों खींची? - 


यह उस समय की बात है जब भारत में अंग्रेजों का शासन था। खचाखच भरी एक रेलगाड़ी चली जा रही थी। यात्रियों में अधिकतर अंग्रेज थे। एक डिब्बे में एक भारतीय मुसाफिर गंभीर मुद्रा में बैठा था। सांवले रंग और मंझले कद का वह यात्री साधारण वेशभूषा में था इसलिए वहां बैठे अंग्रेज उसे मूर्ख और अनपढ़ समझ रहे थे और उसका मजाक उड़ा रहे थे। पर वह व्यक्ति किसी की बात पर ध्यान नहीं दे रहा था। अचानक उस व्यक्ति ने उठकर गाड़ी की जंजीर खींच दी। तेज रफ्तार में दौड़ती वह गाड़ी तत्काल रुक गई। सभी यात्री उसे भला-बुरा कहने लगे। थोड़ी देर में गार्ड भी आ गया और उसने पूछा, ‘जंजीर किसने खींची है?’ उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, ‘मैंने खींची है।’ कारण पूछने पर उसने बताया, ‘मेरा अनुमान है कि यहां से लगभग एक फर्लांग की दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है।’ गार्ड ने पूछा, ‘आपको कैसे पता चला?’ वह बोला, ‘श्रीमान! मैंने अनुभव किया कि गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आ गया है। पटरी से गूंजने वाली आवाज की गति से मुझे खतरे का आभास हो रहा है।’ गार्ड उस व्यक्ति को साथ लेकर जब कुछ दूरी पर पहुंचा तो यह देखकर दंग रहा गया कि वास्तव में एक जगह से रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए हैं और सब नट-बोल्ट अलग बिखरे पड़े हैं। दूसरे यात्री भी वहां आ पहुंचे। जब लोगों को पता चला कि उस व्यक्ति की सूझबूझ के कारण उनकी जान बच गई है तो वे उसकी प्रशंसा करने लगे। गार्ड ने पूछा, ‘आप कौन हैं?’ उस व्यक्ति ने कहा, ‘मैं एक इंजीनियर हूं और मेरा नाम है डॉ॰ एम| विश्वेश्वरैया।’ नाम सुन सब स्तब्ध रह गए। दरअसल उस समय तक देश में डॉ॰ विश्वेश्वरैया की ख्याति फैल चुकी थी। लोग उनसे क्षमा मांगने लगे। डॉ॰ विश्वेश्वरैया का उत्तर था, ‘आप सब ने मुझे जो कुछ भी कहा होगा, मुझे तो बिल्कुल याद नहीं है।


चिर यौवन का रहस्य  -

भारत-रत्न से सम्मानित डॉ॰ मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैया ने सौ वर्ष से अधिक की आयु पाई और अन्त तक सक्रिय जीवन व्यतीत किया। एक बार एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, 'आपके चिर यौवन का रहस्य क्या है?' डॉ॰ विश्वेश्वरैया ने उत्तर दिया, 'जब बुढ़ापा मेरा दरवाज़ा खटखटाता है तो मैं भीतर से जवाब देता हूं कि विश्वेश्वरैया घर पर नहीं है। और वह निराश होकर लौट जाता है। बुढ़ापे से मेरी मुलाकात ही नहीं हो पाती तो वह मुझ पर हावी कैसे हो सकता है?



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क्यों मानते हैं इंजीनियर्स डे-


इंजीनियरों को आधुनिक समाज की रीढ़ के रूप में देखा जाता है। इंजीनियर्स एक प्रकार के जादूगर होते है, वे अपनी रचनाओं से दुनिया को विस्मित और मोहित करते रहते हैं। एक इंजीनियर भविष्य के काम को आसान बनाने और परिपक्वता और क्षमता के उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए उपकरण बनाता है। 

एक उन्नत तकनीकी दुनिया में, हमें अपने विचारों को वास्तविक मैं बदलने के लिए इंजीनियरों की आवश्यकता है। आज की दुनिया में इंजीनियरिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुशासन है। 

वैज्ञानिक, इंजीनियर देश के विकास में अद्भुत भूमिका निभाते हैं। इसलिए वे सम्मान के हकदार होते हैं। 

जिस तरह शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए टीचर्स डे, डॉक्टरों को सम्मानित करने के लिए डॉक्टर डे, माता-पिता को सम्मानित करने के लिए मदर्स डे, फादर्स डे मनाए जाते हैं, उसी तरह इंजीनियरों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद देने और उनका सम्मान करने के लिए सभी इंजीनियरों को समर्पित एक दिन होना चाहिए। इसीलिए, इंजीनियरों को सम्मानित करने हेतु इंजीनियर डे मनाया जाता है। भारत में, भारत के एक महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को याद करने और सम्मान करने के लिए उनका जन्मदिवस 15 सितंबर को Engineers Day मनाया जाता है।







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